मेरा यार जोगिया वे
मेरा प्यार जोगिया वे
मै जोगन तेरी
तू मेरा जोगिया
kadar?
Un logo se khudko door kar
Lena hi aacha hai,
Jinke nazdeek aaapke aansuon
Ki koi qadar nahi…?✍️
तेरे रहमो करम अगर सर…
तेरे रहमो करम अगर सर पर हो
तो कैसे कोई मार देगा
हम तो पहले ही उजड़े हुए हैं दोस्त
और कोई कैसे उजाड़ देगा…..
Preetsimer
মন মানেনা
একা একা বসে আছি
ঘরের কোণে,
রচে যাই ছন্দ বাণী
আপন মনে।
চারিদিকে বন্ধ বলে
মেজাজটা নাই,
জানিনা আগামী দিনে তো
কি হবে তাই!
মানুষ তো আর চায় না
সে যে থাকবে ঘরে,
লক ডাউনের বিধি নিষেধ
ভাঙবে সে যে কেমন করে!
ভাবতে থাকে ফন্দি ফিকির
বিধি ভাঙার কারি কুরি,
তাই সে খেলে পুলিশ
সাথে লুকোচুরি।
এই না দেখে পুলিশও
বেশ মার কাটারি,
কেউবা খাবে মৌন হয়ে
লাঠির বারি, আবার
কেউ দেখাবে নিয়ম ভেঙ্গে
জারি জুড়ি।
মাথা মোটা পুলিশ কি আর
সাধে বলে!
আইন ভাঙার সে হেডমাস্টার
পড়লে দলে।
বাগে পেলে মনের সুখে
লাঠির মার,
ভাঙলে ভাঙুক আমজনতার
পাঁজর- হাড়।
সকাল হলেই রোজ বাজারে
লোকের ভিড় উপচে পড়ে,
মনে হয় করোনা বুঝি
উঠবেনা আজ বিছানা ছেড়ে।
না, না, না, না আর একটু
তাই হোক না দেরি,
পুলিশ এলে পালিয়ে
যাবো তাড়াতাড়ি।
করোনা এখন জায়গা পেলো
পেছন দিকে,
আতঙ্ক টা জায়গা নিল
কপাল লিখে।
বলতে পারি পেটের ক্ষুধা
যায়না রোখা,
মধ্যবিত্তের ত্রাণের কথা
যায়না লেখা।
নেতাদের ত্রান নিয়ে সব
মিথ্যে বকা,
এমন শুনে যায়না তো আর
ঘরে থাকা।
ইচ্ছেকরে কলার ধরে
প্রশ্ন করি,
ত্রাণ নিয়ে সব হচ্ছে কেনো
ছলচাতুরি?
কি জানি আজ রাজনীতিটা
কোথায় গেছে!
দেশের মজবুত গণতন্ত্র
বলাই মিছে।
না,না,না,না আম জনতা
চায়না সেটা,
মিথ্যা রাজার মিথ্যা বানীর
মজা লোটা।।
कोई गहरा पुराना दोस्त फिर से मिलेगा क्या !
लॉक डाउन में मेरी बचपन की यादें बिखर सी गई है,
उन्हें फिर से मिलाएगा क्या !
कोई गहरा पुराना दोस्त फिर से मिलेगा क्या !
वो स्कूल केे दिन याद बोहोत आते हैं,
लेकिन हवा केे एक झोकेे केे साथ,
पल भर मे बिखर जाते हैं।
कोई उनसे मिलवाएगा क्या!
कोई गहरा पुराना दोस्त फिर से मिलेगा क्या!
जब आंखे बंद करता हूँ तो ,
वो हॉस्टल के दिन याद आते हैं।
मेरी रूह को बार -बार ,
उसी कमरे में ले जाते हैं।
कोई उन यादों से रूब रू करवायेगा क्या!
कोई गहरा पुराना दोस्त मिल भी पाएगा क्या!
धरती बचाए
सूनी है सड़के हैं सुनसान रहे,
नहीं है कोई भी जो शोर मचाए।
इंसान है जो वो घरो मै चुपा है,
प्राकृतिक दंड अब उनको मिला है।
है पक्षी का जीवन खुशहाल सारा,
शुद्ध हो गया है ये आकाश तुम्हारा ।
पशु भी हुए अब तो खुश इस जीवन से,
नहीं आरहा कोई जंगल का विध्वंश करने।।
हंसता है चंदा और हंसता है मंगल,
जो रचते थे रहने के सपने वहां पर।
वो मुंह को छुपाए अंधेरे में बैठा,
अपने जीवन के वो पुण्य को गिनता।
है बादल भी अब तो खूब बरसता ,
सूरज भी अब खूब है तपता।
सभी चाहते बस इंसान सुधरे,
किसी भी तरह धरती की अहमियत को समझें।
खुद भी रहे और सबको बचाए,
शुद्ध आकाश को ना काला बनाए।
ना जंगल को काटे ना नदियों को कूड़ा बनाए,
खुद भी बचे और धरती बचाए।।
@shutosh....
खाकी तुझे सलाम
ख़ाकी तुझे सलाम
बडे नाम सुने थे तुम्हारे, कहीं पोलिसवाले गुंडे तो कहीं वर्दीवाले गुंडे
पर जब आई संकट की बेला
तब रूबरू हमने तुमको देखा
जोखिमों से भरी राहों मे कैसे ढाल बने हमारे बीच खड़े हो कहीं संतरी तो कहीं रात के प्रहरी बने खड़े हो
ना परवाह है खुद की ना परवाह है अपनों की बस परवाह है तो बस हमारी सुरक्षा की
कर हमें घरों मे कैद
तुम हर वार झेलने बाहर खड़े हो
ज़ब आती है बात हमारी सुरक्षा की तो कहीं गर्मी तो कहीं नरमी की नीति अपनाकर
कहीं हाथ जोड़कर तो कहीं डंडा दिखाकर हर पल तैनात खड़े हो
जिस देश मे हो तुम जैसे कर्मवीर योद्धा
उस देश मे कोरोना तो क्या यम की टोली भी टिक ना पायेगी, देख तुम कर्मवीरों को संकट के यह बादल भी छट जायेंगे
बस जरुरत है तुम्हारे हिदायतो को अपनाने की, घर मे रहकर ही साथ निभाने की
हे कर्मवीर योद्धा तुझे हमारा वारंवार सलाम वारंवार सलाम जय हिन्द जय भारत
” *भूख Vs सेल्फी* “
दुनिया कितनी सेल्फिश हो गई
दान की कीमत सेल्फी हो गई
लेंगे सेल्फी देंगे रोटी
सोच हो गई कितनी छोटी
भूखा खाने को तरस रहा
कैमरे से फोटो बरस रहा
एक रोटी को देते पाँच
भूखे पेट में भूख की आँच
भूखा बिचारा रोटी चाहे
देने वाला फोटो खिंचाए
महंगी गाड़ी से सेठ जी उतरे
हाथ में उनके पैकेट दिख रहे
ग़रीब परिवार की आँखे चमकी
सेठ को कहाँ फिक्र उनके गम की
पैकेट पीछे कैमरा आगे
भूखे बच्चे पैकेट तांके
सेठ को भूख से ज़रा परवाह ना
बस फेसबुक वाट्सएप पर फोटो लगाना
*"महेश सिंह पवाँर"*
शहर में खामोशी है, घ…
शहर में खामोशी है, घरों में खामोशी है, जिंदगी के हर कोने में खामोशी है, कौन किसे ढूंढेगा अब अपने लिए, सब के भविष्य की एक ही कहानी है, ना आज का पता है, ना कल की निशानी है, बस गुजर रही टुकड़ों टुकड़ों में जिंदगानी है, कैसा शिकवा करें क्या अदावत रखें, इस मौसम में हर दरख़्त की टहनी सुख कर झड़ जानी है, यही तेरी यही मेरी यही हम सबकी कहानी है, जिस चीज़ के पीछे भागते रहे उम्र दर उम्र, वही आज हम सबसे बेगानी है।।
DARD BHARA DIL,DARD BHARI SHAYARI
दिल को ऐसा दर्द मिला जिसकी दवा नहीं,
फिर भी खुश हूँ मुझे उस से कोई शिकवा नहीं,
और कितने अश्क बहाऊँ अब उस के लिए,
जिसको खुदा ने मेरी किस्मत में लिखा ही नहीं।
कुछ चीज़े हम पुरानी छोड़ आये हैं,
आते आते उसकी आँखों में पानी छोड़ आये हैं,
ये ऐसा दर्द है जो बयां हो ही नहीं सकता,
दिल तो साथ ले आये धड़कन छोड़ आये है।
मेरा हर ज़ख़्म उसकी मेहरबानी है,
मेरी ज़िन्दगी तो एक अधूरी कहानी है,
चाहता तो मिटा देते हर दर्द को,
मगर ये दर्द ही तो उसकी आखरी निशानी है।
or shayri padhna leya is blog par aye
sonamkomal.blogspot.com