लुत्फ़ आने लगा था अब
सज़ा का हमें….
तभी मालूम हुआ कि गुनाह
माफ़ हो गया…!!
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लुत्फ़ आने लगा था अब
सज़ा का हमें….
तभी मालूम हुआ कि गुनाह
माफ़ हो गया…!!
तेरा चेहरा तेरी बातें
तेरा गम तेरी यादें,
इतनी दौलत पहले
कहाॅं थी मेरे पास…
बच्चे झगड़ रहे थे मोहल्ले के,
ना जाने किस बात पर…
सुकून इस बात का था
न मंदिर का ज़िक्र था न
मस्जिद का…!!!
अनकही शायारी
यूॅं तो तैरने में माहिर हैं हम पर फिर भी
ड़ूब जाते हैं अक्सर आपके खयालों में।
हुस्न तो कब का तमाम हुआ
लेकिन…
वफ़ा का सिलसिला जारी है।
ਪਈ ਵਕਤ ਦੀ ਐਸੀ ਮਾਰ ਸਾਂਈ,
ਬੰਦਾ ਬੰਦੇ ਤੋਂ ਦੇਖ ਕਿਵੇਂ ਦੂਰ ਹੋਇਆ।
ਮੇਰਾ ਮੇਰਾ ਜਿਹੜਾ ਨਿੱਤ ਰਹਿੰਦਾ ਕਰਦਾ ਸੀ,
ਹੁੱਣ ਸਾਹ ਸੋਖਾ ਲੈਣਾ ਨਹੀਂ ਨਸੀਬ ਹੋਇਆ।
ਬੜਾ ਕਾਦਰ ਦੀ ਕੁਦਰਤ ਨਾਲ ਖੇਡਦਾ ਸੀ,
ਹੁੰਣ ਖੁੱਦ ਵਾਂਗ ਕੱਠਪੁਤਲੀ ਵਿੱਚ ਘਰ ਹੋਇਆ।
ਉਹਦੀ ਰੱਜਾ ਵਿੱਚ ਰਾਜੀ ਰਹਿਣਾ ਸਿੱਖ ਲੈ ਤੂੰ,
ਫਿਰ ਦੇਖੀਂ ਇਹ ਜਹਾਨ ਕਿਵੇਂ ਠੀਕ ਹੋਇਆ!!
*ਗੁਮਨਾਮ ਲਿਖਾਰੀ*
-- Gumnam Likari
न जाने जिंदगी का,
ये कैसा दौर है…
इंसान ख़ामोश हैं
और आनलाईन में
कितना शोर है…
अधूरी कहानी पर…
ख़ामोश होठों का पहरा है!
चोट रुह की है,
इसलिए दर्द जरा गहरा है!!
LOVE
ना इलाज है, ना दवाई है…
ए इश़्क,
तेरे टक्कर की बला आई है।
गलती नीम की नहीं कि वो
कड़वी है
खुदगर्जी जीभ की है कि
उसे मीठा पसंद है।