Knowledge decides what to Say…
Skill decides how to Say…
Attitude decides how much to Say
and
Wisdom decides weather to Say or Not.
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Knowledge decides what to Say…
Skill decides how to Say…
Attitude decides how much to Say
and
Wisdom decides weather to Say or Not.
जिंदगी को आसान नहीं
बस खुद को मजबूत
बनाना पड़ता है..
सही समय कभी नहीं आता..
बस समय को सही
बनाना पड़ता है।
आलोचना में छिपी हुई
सच्चाई और प्रशंसा में
छिपे हुए झूठ को यदि
मनुष्य समझ जाये तो
आधी समस्याओं का
समाधान अपने आप
हो जायेगा।
बेआबरू होकर निकले उसकी गली से जब उसने कहा:-
ये शरीफ़ों का मोहल्ला है क्यों आवारों की तरह घूमें जा रहे हो,
कमाने की उम्र में क्यों मजनू बनकर गलियों में धक्के खा रहे हो।
When mind is weak,
the situation becomes
a problem.
When mind is balanced,
the situation becomes
a challenge.
When mind is strong,
the situation becomes
an opportunity.
*मैं छोटा सा दीया*
जलना मेरा काम है।
रातें करता रोशन,
दीया मेरा नाम है।
अँधेरी रातों को,
मैं रोशन बनाता हूँ।
खुद ही जलकर
अँधेरे को मिटाता हूँ।
दोस्त हूँ मैं सबका
सबको राह दिखाता हूँ।
दूसरों को करो रोशन,
ये सबक़ सिखाता हूँ।
आँधी हो या बारिश ,
मैं नहीं घबराता हूँ।
निडर बने रहने का,
पाठ भी पढ़ाता हूँ।
अपनी अहमियत को,
मैं कभी न जताता हूँ।
अँधेरी रातों में सबकी
आँखें बन जाता हूँ।
खुद को मिटाकर,
लौ को जलाता हूँ।
सुख हो या दुख हो,
जलना मेरा आम है,
* मैं छोटा सा दीया*
*जलना मेरा काम है।*
KARMA SAYS…
Sometimes you have
to suffer in life,
Not because you were bad,
But because you didno’t
realise where to stop
being good.
“धोखा भी” बादाम की तरह है…
जितना खाओगे उतनी अक्ल आती है!
?शोहरत?♀️
सोचा ज़माने को आज अपनी ख़ूबियाँ गिनवा दूँ,
ज़मीर बोला रूक जीत तुझे हक़ीक़त से मिलवा दूँ।
अपनी ख़ूबियाँ भी भला कोई बताता है,
ऐसा करने में उसका केवल अहम नज़र आता है।
अनंत सिप्पीयों से भरा है सागर, लेकिन हर किसी सिप्पी में न मोती बन पाता है।
जिनमें होती है हक़ीक़त में ख़ूबियाँ ,रब उनको ख़ुद चमकाता है,
नहीं पड़ती गिनवाने की ज़रूरत ,ज़माना उनको ख़ुद पलकों पर बिठाता है।
देखने में शोहरत बहुत अच्छी लगती है, रास्ते में उसके दुविधा भी पड़ती है,
इस दुविधा का नाम है अहंकार, जो शोहरत के साथ ही बढ़ती है।
हे जीत तू क्यों बिना ख़ूबियों के ख़ूबियाँ गिनवाने में लगी है,
अहम की अग्नि में खुद को जलाने लगी है।
संतोषी होने की तेरी आदत ही तो मुझे पसंद है,
क्यों उसको शोहरत की आग में जलाने लगी है।
भीड़ में खोने से अच्छा है
एकांत में खो जाएं..