ज़ुल्फ़ें
चेहरे पर झूमती ज़ुल्फ़ों को
जब वो ऊपर करती है।
दूर बैठी मेरी अँगुली कल्पनाओं
में उनको नीचा करती है।
कैसे कहें उनको रहने दो
ना इनको चेहरे पर पड़े हुए।
मन मोह लेती हैं ये ज़ुल्फ़ें
झूलती गालों पर पड़े हुए।
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ज़ुल्फ़ें
चेहरे पर झूमती ज़ुल्फ़ों को
जब वो ऊपर करती है।
दूर बैठी मेरी अँगुली कल्पनाओं
में उनको नीचा करती है।
कैसे कहें उनको रहने दो
ना इनको चेहरे पर पड़े हुए।
मन मोह लेती हैं ये ज़ुल्फ़ें
झूलती गालों पर पड़े हुए।