बाबू मोशाय
ज़िन्दगी और मौत ऊपरवाले के हाथ है
जहांपनाह, उसे ना आप बदल सकते हैं ना मैं
हम सब तो रंगमंच की कठपुतलियां हैं
जिनकी डोर ऊपर वाले की उंगलियों में बंधी हैं
कब, कौन, कैसे उठेगा, ये कोई नहीं बता सकता है..!!
आनंद मरा नहीं…!
आनंद मरते नहीं..!