नसीहत वह सच्चाई है,
जिसे हम कभी ग़ौर से
नहीं सुनते…
और
तारीफ वह धोखा है,
जिसे हम ध्यान से
सुनते हैं!
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नसीहत वह सच्चाई है,
जिसे हम कभी ग़ौर से
नहीं सुनते…
और
तारीफ वह धोखा है,
जिसे हम ध्यान से
सुनते हैं!